Covid-19
दोनों डोज लगवा चुके लोगों में कितना है कोरोना का खतरा, जानिए क्या कहती है ICMR की रिपोर्ट
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आहट से बीच लगातार ये सवाल सामने आ रहे है कि दोनों खुराक लगाने के बाद कोरोना का कितना खतरा रह जाता है। इस बड़े सवाल को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ( ICMR ) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है।
आईसीएमआर ने वैक्सिनेशन और कोरोना संक्रमण को लेकर एक शुरुआती रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले ली थी, उनमें से 76 फीसदी में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन संक्रमित लोगों में से केवल 17 फीसदी ही बिना लक्षण वाले थे, जबकि 10 प्रतिशत लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत पड़ी।
आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण के बाद सबसे बड़ा जो फायदा है वो ये कि कोरोना से संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने की संभावना या जरूरत काफी कम हो जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक जिन 27 लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया था उनमें से सिर्फ एक मरीज की मौत का मामला सामने आया।
ICMR ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है आंकड़ों का आंकलन ये बताता है कि वैक्सीन कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे बड़ा और कारगर हथियार है।
एक मार्च से 10 जून के बीच ओडिशा में अलग-अलग हेल्थकेयर सेंटर से 361 लोगों के नमूने लिए गए थे। खास बात यह है कि इन नमूनों में से ज्यादातर मामले वो थे जो कोरोना की दोनों डोज लगा चुके थे।
राजधानी भुवनेश्वर स्थित ICMR की लैब में जांच के लिए भेजे गए इन सैम्पल में से 274 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के 14 दिन बाद एंटीबॉडी बनना शुरू होती है। कोरोना पॉजिटिव इन 274 लोगों ने जांच से पहले इस समय को भी पूरा कर लिया था।
मेडिकल जर्नल रिसर्च स्कवायर में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक, इन 274 कोरोना संक्रमित लोगों में से 12.8 फीसदी ने कोवैक्सीन तो 87.2 फीसदी लोगों ने कोविशील्ड की दोनों डोज ली थी।
कोवैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद संक्रमित हुए लोगों में से 43 फीसदी वो हेल्थकेयर वर्कर्स थे जो देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों खासकर कि कोविड वार्ड में ड्यूटी पर थे।
जबकि कोविशील्ड लेने के बाद ऐसे 10 फीसदी हेल्थकेयर वर्कर्स संक्रमित मिले हैं।
वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के 14 दिन बाद यह लोग कोरोना वायरस की चपेट में आए। आईसीएमआर ने स्पष्ट किया है कि कोविशील्ड लेने वालों में अधिक एंटीबॉडी बन रही हैं जबकि कोवैक्सिन लेने वालों में एंटीबॉडी 77 फीसदी ही मिली हैं।
सरकार का दावा है कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वाले किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। अध्ययन में जिस मौत की बात कही जा रही है वह महाराष्ट्र से जुड़ा मामला है।रिपोर्ट में कोविशील्ड लेने वाले एक व्यक्ति की पोस्ट संक्रमण होने से मौत होने की पुष्टि की है।
वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद जो लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं उनमें 9.9 फीसदी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, लेकिन इन मरीजों को अस्पतालों से डिस्चार्ज होने में कम से कम 11 दिन का वक्त लगा।