नॉलेज । ग्रह नक्षत्रों का परिवर्तन प्रकृति के नियमों में उतार-चढ़ाव अवश्य लाता है। बीते महीने मई के अन्त में कई ग्रहों के मार्गी, वक्री और उदय होने से दो-दो चक्रवात आए थे। कुछ ऐसी स्थिति 20 जून को बनने वाली है।
20 जून को गंगा दशहरा है। पुराने ग्रंथों के अनुसार इस दिन पृथ्वी पर गंगा का अवतरण हुआ था। भागीरथ ऋषि अपने 60 हजार पुरखों की मुक्ति के लिए कठिन तपस्या करके गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए थे। इस दिन गंगा स्नान का बहुत अधिक महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य के पाप और ताप दोनों ही तर जाते हैं।
20 जून को दो और खगोलीय घटनाएं घट रही हैं। 20 जून 2021 की रात 20:35 पर गुरु वक्री होंगे। वक्री का अर्थ होता है जब ग्रह अपनी स्वाभाविक गति को त्याग कर पीछे के अंशों की ओर चलना आरंभ कर देते हैं।
यद्यपि वक्री ग्रह पीछे की ओर चलते नहीं है, लेकिन प्रकृति में उनका आभास प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। गुरु वक्री होने से प्रकृति में बदलाव आएगा। कुंभ राशि में गुरु का वक्री होना सीमा पर हलचल युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होने की संभावनाएं और पूरे विश्व में जनधन की हानि दिखा रहा है। जिन व्यक्तियों की जन्म पत्रिका में बृहस्पति वक्री है विशेषकर कन्याओं की कुंडली में, ऐसा वक्री बृहस्पति ग्रह उनके लिए बहुत लाभदायक होता है।
अपेक्षित कार्य बनने की संभावनाएं रहती हैं। शादी विवाह के मामले में जो युवा-युवती प्रतीक्षारत हैं, वक्री गुरु की अवधि में उनका वैवाहिक कार्य संपन्न होने की संभावनाएं अच्छी हो जाती है।
18 अक्टूबर तक बृहस्पति वक्री गति से चलेंगे। इस अवधि में भारत में भी बहुत कुछ बदलाव आएगा। युद्धोन्माद, आगजनी और दुर्घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो यह अवधि जनमानस और प्रजा के लिए शुभ होगी।
20 जून को शाम 17:27 बजे बुध उदय हो रहे हैं। बुध के उदय एवं अस्त के समय प्रकृति में कुछ हलचल अवश्य होती है। आंधी, तूफान, चक्रवात एवं बरसात आदि योग बनते हैं। वृषभ राशि भारत के स्वतंत्रता की लग्न राशि है। इस समय राष्ट्र के विकास और उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाने की संभावना है।
22 जून को सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करके वर्षा का शुभारंभ करेंगे। रोहिणी नक्षत्र में सूर्य आने पर पृथ्वी प्रचंड ताप से व्याकुल होती हैं और जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में आते हैं तो वे मानसून का कारक बनते हैं और चारों ओर वर्षा आरंभ हो जाती है। आर्द्रा नक्षत्र जल तत्व का नक्षत्र है। जब सूर्य का इस नक्षत्र में आगमन होता है तो प्रकृति में आर्द्रता बढ़ जाती है।
भारतवर्ष के अगर मौसम चक्र का विश्लेषण करें तो 22 जून से और 22 सितंबर तक पूरे भारतवर्ष में मानसून सक्रिय रहता है। ग्रहों की गति के अनुसार इस वर्ष वर्षा अच्छी होने के संकेत हैं। खरीफ की फसलें विशेषकर चावल और गन्ना की उपज में आशातीत वृद्धि होंगी।