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वाराणसी : रेत में खनन और नहर बनाने के कार्य से सामाजिक कार्यकर्ता चिंतित
वाराणसी । पिछले कई सप्ताह से गंगा उस पार रेत में जेसीबी और अन्य बड़ी ड्रेजिंग मशीनों से रेत में खनन और नहर बनाने के कार्य से सामाजिक संगठन चिंतित है। रेती में खनन और तत्क्रम में नदी धारा, जल पर्यावरणीकी, घाट संरचना आदि पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अब मुखर होने लगे हैं। गुरूवार को साझा संस्कृति मंच का एक प्रतिनिधि मंडल एडीएम सिटी से उनके कार्यालय में मिला। प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी को सम्बोधित ज्ञापन पत्र एडीएम सिटी को सौंपा। एडीएम सिटी से कहा कि वाराणसी शहर पीने के पानी के लिए गंगा नदी और भूमिगत जल पर निर्भर है। विशेषकर घाट से लगी सघन आबादी को उपलब्ध भूमिगत जल भी गंगा की धारा पर ही निर्भर है। साथ ही पूरे शहर को पीने का पानी गंगा ही उपलब्ध कराती है।
नदी की धारा पर पड़ रहे इस प्रतिकूल प्रभाव का शहर में पीने के पानी की व्यवस्था पर भी क्या और कितनी प्रभाव पड़ेगा इसका समग्र आंकलन भी करना जरूरी होगा। प्रतिनिधि मंडल में शामिल सदस्यों ने बताया कि गंगा में एक पूरी समानांतर जल धारा, नहर के रूप में बन गयी है। गंगा घाट किनारे शैवाल की मात्रा बढ़ रही है, जल का रंग हरा हो रहा है। इसको लेकर नदी विज्ञानी प्रो यूके चौधरी, महंत संकटमोचन प्रो विशम्भर नाथ मिश्रा आदि ने चिंता प्रकट की है। सदस्यों ने कहा कि गंगा के उद्गम स्थल से ही तमाम स्थलों पर बाँध द्वारा गंगा नदी को पहले से ही बाधित किया गया है। जिसके कारण नदी की अविरलता बाधित है। इसके साथ-साथ गंगा जल परिवहन योजना के भी काम हो रहे हैं।
सिर्फ बनारस में रामनगर, राजघाट, कैथी में जल परिवहन स्टेशन आदि के काम नदी पर्यावरण और संरचना पर स्थायी प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हैं। वल्लभाचार्य पांडेय ने कहा कि मणिकर्णिका घाट पर विश्वनाथ धाम परियोजना से लगायत खनन मलबा, जेटी सदृष ढांचा, बालू की पाईप आदि काम भी घाट संरचना, जल पर्यावरण को नुकसान पंहुचा रहे हैं। इन्ही बिंदुओं पर जिला प्रशासन को ध्यान दिलाया गया है। प्रतिनिधि मंडल में वरिष्ठ गांधीवादी रामधीरज, फादर आनंद, संजीव सिंह, जागृति राही, डॉ अनूप श्रमिक, रवि शेखर, मुकेश और धनंजय आदि शामिल रहे।