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DRDO ने बनाया सेना के लिए चलता-फिरता पुल, जानिए इसके बारे में
नई दिल्ली । चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) और पाकिस्तान के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर जारी टकराव के बीच सेना को वह ‘हथियार’ मिल गया है जिसके बाद आसानी से सैनिकों की तैनाती हो सकेगी और साथ ही साथ टैंकों का मूवमेंट आसान हो सकेगा. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की तरफ से तैयार शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम (SSBS) को सेना में शामिल कर लिया गया है. सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने राजधानी दिल्ली स्थित करियप्पा परेड ग्राउंड पर 12 ऐसे छोटे ब्रिजों को सेना में शामिल किया. इस मौके पर डीआरडीओ के चेयरमैन जी सतीश रेड्डी भी मौजूद थे.
शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम बहुत ही महत्वपूर्ण सिस्टम होता है. यह सिस्टम 9.5 मीटर की दूरी को भी कवर कर सकता है. इन पुलों की मदद से सेना को अब छोटी नहरों और नदियों को पार करने में मुश्किल नहीं होगी. दस से बारह मीटर लंबे ये पुल विशेष रूप से देश की पश्चिमी सीमा पर ज्यादा मददगार साबित होंगे. करीब चार मीटर चौड़े इन ब्रिजों को सड़क के रास्ते से तुरंत एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जा सकेगा. इससे सैनिकों की तुरंत तैनाती में काफी मदद मिलेगी और साथ ही मुश्किल स्थिति में टैंक को भी तुरंत तैनात किया जाएगा.
पुणे स्थित रिसर्च डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (RDE) ने इन पुलों को लार्सन एंड ट्यूब्रो के साथ मिलकर बनाया है. RDE, डीआरडीओ की ही लैब है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, सेना और उद्योग जगत को इसके लिए बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि इस उपलब्धि से आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा मिलेगा. डॉक्टर सतीश रेड्डी ने भी इस सिस्टम को सेना में शामिल किए जाने पर टीम को बधाई दी है.
प्रोजेक्ट शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम में टाट्रा 6×6 चेसिस पर 5 मीटर एसएसबीएस के दो प्रोटोटाइप और टाट्रा 8×8 री-इंजीनियर्ड चेसिस पर 10 मीटर एसएसबीएस के अन्य दो प्रोटोटाइप को तैयार करना शामिल था. जो पुल सेना को सौंपे गए हैं वो 70 किलो तक का भार उठा सकते हैं. डीआरडीओ के पास सैन्य ब्रिजिंग सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण लड़ाकू इंजीनियरिंग सिस्टम विकसित करने का व्यापक अनुभव है.
भारतीय सेना के लिए मशीनीकृत गतिशीलता समाधानों की संख्या जैसे सिंगल स्पैन 5 मीटर और 10 मीटर, शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम, 46 मीटर मॉड्यूलर ब्रिज, 20 मीटर बीएलटी-टी 72 और मल्टी स्पैन 75 मीटर ओवरऑल ब्रिजिंग सिस्टम को भी तैयार किया गया है. मैन्युअली लॉन्च 34.5 मीटर माउंटेन फुट ब्रिज भी डीआरडीओ द्वारा पहले विकसित किया गया था. इन पुलों को भारतीय सेना ने व्यापक रूप से स्वीकार किया है.