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यदि कोई मंत्री सही नहीं है तो इस पर प्रधानमंत्री को ध्यान देना होगा, अदालत कुछ नहीं कर सकती - सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने चीन के साथ एलएसी पर भारत की आधिकारिक स्थिति के संबंध में बयान देकर शपथ का उल्लंघन किया है। अदालत ने कहा, यदि कोई मंत्री अच्छा नहीं है तो इस पर प्रधानमंत्री को ध्यान देना होगा। अदालतें इस मामले में कुछ नहीं कर सकतीं।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस एएस बोपन्ना तथा हृषिकेश रॉय की पीठ ने तमिलनाडु निवासी याचिकाकर्ता चंद्रशेखरन रामासामी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। रामासामी खुद को विज्ञानी होने का दावा करते हैं। शुरुआत में पीठ ने कहा, अगर आपको किसी मंत्री का बयान पसंद नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप याचिका दायर करेंगे और उसे हटाने के लिए कहेंगे। पीठ ने कहा, यदि कोई मंत्री अच्छा नहीं है तो यह प्रधानमंत्री को ध्यान रखना है। अदालतें कुछ नहीं कर सकतीं।
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि ऐसा लगता है कि आप एक विज्ञानी हैं, तो आपको अपनी ऊर्जा का उपयोग देश की खातिर कुछ करने के लिए करना चाहिए। हम इसे खारिज कर रहे हैं। याचिका में केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह घोषित करे कि एलएसी पर चीन के साथ गतिरोध मामले में टिप्पणी कर केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है।